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Book Details

Description

इस पुस्तक की महत्वपूर्ण विशेषताएं, जो इसे अन्य प्रकाशित संस्करणों से विशिष्ट बनाती हैं, निम्नलिखित हैं —

1. ग्रंथ के मूल संस्कृत पाठ का मिलान वाराणसी से उपलब्ध हुई गई पांडुलिपि की फोटोकॉपी से किया गया है।

2. ग्रंथ में विभिन्न संदर्भों में श्लोकों की व्याख्या ॠषि विश्वकर्मा शास्त्र में प्रतिपादित सिद्धांतों के आलोक में की गयी है।

3. विभिन्न श्लोकों में विश्वकर्मा द्वारा वास्तु अनुष्ठानों और देवों के लिए बलियों के लिए वेदों के मंत्रों को श्लोकों की व्याख्या में पूरे पते सहित प्रस्तुत किया गया है।

4. आयादी गणनाओं को व्यावहारिक उदाहरण के साथ, आयादि सूत्रों में प्रयुक्त संख्याओं के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न शब्दों की तार्किक व्याख्या के साथ परिशिष्ट 2 में स्पष्ट किया गया है।

5. ॠषि विश्वकर्मा द्वारा दी गई परिभाषा के आलोक में माप की इकाईयों 'हस्त' और 'अंगुल' की तार्किक व्याख्या परिशिष्ट 1 में की गयी है।

6. विश्वकर्माप्रकाश को शास्त्र में प्रतिपादित सिद्धान्तों के अनुसार ही समझा गया है।

7. ज्योतिष, अन्य संदर्भों और सिद्धांतों के संबंध में, विभिन्न श्लोकों के व्याख्या में 150 से अधिक तालिका/सूचियाँ/स्पष्टीकरण, और 10 परिशिष्ट दिए गए हैं। जिससे इस ग्रंथ के पाठक को संस्कृत पाठ में प्रयुक्त शब्दावली के अर्थ जानने के लिए अन्य पुस्तकों को देखने की आवश्यकता नहीं होगी।

8. "शिलान्यास" के लिए वास्तु अनुष्ठान पूर्ण विधि सहित और सम्पूर्ण वेद मंत्रों सहित परिशिष्ट 9 में दिया गया है।

9. नवीनगृह एवं जीर्णोद्धार के पश्चात गृहप्रवेश के लिए वास्तु अनुष्ठान पूर्ण विधि सहित और सम्पूर्ण वेद मंत्रों सहित परिशिष्ट 10 में दिया गया है।

10. स्वस्तिवाचन, शांतिकरण, पुरुषसुक्त, वरुण सुक्त, रुद्र सूक्त का सम्पूर्ण पाठ ग्रंथ के परिशिष्टों में दिया गया है।

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