Rigveda / 9 / 32 / 6
अ॒स्मे धे॑हि द्यु॒मद्यशो॑ म॒घव॑द्भ्यश्च॒ मह्यं॑ च । स॒निं मे॒धामु॒त श्रव॑: ॥
Veda : Rigveda | Mandal : 9 | Sukta : 32 | Mantra No : 6
In English:
Seer : shyaavaashvaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready
Verse : asme dhehi dyumadyasho maghavadbhyashcha mahya.m cha . sani.m medhaamuta shravaH .
Component Words : asme iti . dhehi . dyu.amat . yashaH . maghavat.abhyaH . cha . mahyam . cha . sanim . medhaam . uta . shravaH . 9.32.6
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : श्यावाश्वः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय :
पदपाठ : अ॒स्मे इति॑ । धे॒हि॒ । द्यु॒ऽमत् । यशः॑ । म॒घव॑त्ऽभ्यः । च॒ । मह्य॑म् । च॒ । स॒निम् । मे॒धाम् । उ॒त । श्रवः॑ ॥ ९.३२.६
पदार्थ : हे परमात्मन् ! आप (अस्मे) मेरे लिये (द्युमत् यशः धेहि) दीप्तिवाले यश को दीजिये (मह्यम् च) कर्मयोगियों के लिये और (मह्यम् च) मेरे लिये (सनिम्) धन को (मेधाम्) बुद्धि को तथा (उत श्रवः च) सुन्दर कीर्ति को दीजिये ॥६॥
भावार्थ : कर्मयोग और ज्ञानयोग के द्वारा परमात्मा निम्नलिखित गुणों का प्रदान करता है, धन बुद्धि सुकीर्ति इत्यादि ॥६॥ यह ३२ वाँ सूक्त और २२ वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
In Sanskrit:
ऋषि : श्यावाश्वः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
पदपाठ : अ॒स्मे इति॑ । धे॒हि॒ । द्यु॒ऽमत् । यशः॑ । म॒घव॑त्ऽभ्यः । च॒ । मह्य॑म् । च॒ । स॒निम् । मे॒धाम् । उ॒त । श्रवः॑ ॥ ९.३२.६
भावार्थ :