Samveda/493
अया पवस्व धारया यया सूर्यमरोचयः। हिन्वानो मानुषीरपः॥४९३
Veda : Samveda | Mantra No : 493
In English:
Seer : nidhruviH kaashyapaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : ayaa pavasva dhaarayaa yayaa suuryamarochayaH . hinvaano maanuShiirapaH.493
Component Words : ayaa. pavasva. dhaarayaa. yayaa. suuryam. arochayaH. hinvaanaH. maanuShiiH. apaH..
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : निध्रुविः काश्यपः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अगले मन्त्र में सोम परमात्मा से तेज की धारा माँगी गयी है।
पदपाठ : अया। पवस्व। धारया। यया। सूर्यम्। अरोचयः। हिन्वानः। मानुषीः। अपः।७।
पदार्थ : हे तेज-रूप रस के भण्डार परमेश्वर ! आप (अया) इस (धारया) तेज की धारा के साथ (पवस्व) हमें प्राप्त हो। (यया) जिस तेज की धारा से, आपने (सूर्यम्) सूर्य को (अरोचयः) चमकाया है। आप (मानुषीः अपः) सब मानव प्रजाओं को (हिन्वानः) तेज से तृप्त करो ॥७॥
भावार्थ : जो परमेश्वर तेज से सूर्य, अग्नि, बिजली आदियों को चमकाता है, उसके दिये हुए तेज से सब मनुष्य तेजस्वी होवें ॥७॥
In Sanskrit:
ऋषि : निध्रुविः काश्यपः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अथ सोमं परमात्मनं तेजोधारां प्रार्थयते।
पदपाठ : अया। पवस्व। धारया। यया। सूर्यम्। अरोचयः। हिन्वानः। मानुषीः। अपः।७।
पदार्थ : हे तेजोरसस्य अगार सोम परमेश्वर ! त्वम् (अया) अनया। अया एना इत्युपदेशस्य इति निरुक्तम्। ३।२१। (धारया) तेजोधारया (पवस्व) अस्मान् प्रति समागच्छ। पवते गतिकर्मा। निघं० २।१४। (यया) तेजोधारया, त्वम् (सूर्यम्) आदित्यम् (अरोचयः) रोचितवानसि। त्वम् (मानुषीः अपः) मनुष्यसम्बन्धिनीः प्रजाः२ (हिन्वानः) तेजसा प्रीणयन् भवेति शेषः। हिवि प्रीणनार्थः भ्वादिः ॥७॥
भावार्थ : यः परमेश्वरस्तेजसा सूर्यवह्निविद्युदादीन् प्रदीपयति, तत्प्रत्तेन तेजसा सर्वे जनास्तेजस्विनो भवन्तु ॥७॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।६१।२२।२. ‘आपः जलानीव प्रजाः’ इति ऋ० ५।३४।९ भाष्ये द०।