Samveda/788
ये ते पवित्रमूर्मयोऽभिक्षरन्ति धारया। तेभिर्नः सोम मृडय॥७८८
Veda : Samveda | Mantra No : 788
In English:
Seer : ahamiiyuraa.mgirasaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : ye te pavitramuurmayo.abhikSharanti dhaarayaa . tebhirnaH soma mRRiDaya.788
Component Words : ye .te .pavitram .uumayaH .abhirakSharanti .abhi .kSharanti .dhaarayaa .tebhiH .naH .soma .mRRiDaya.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : अहमीयुरांगिरसः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अगले मन्त्र में फिर उन्हीं को सम्बोधन है।
पदपाठ : ये ।ते ।पवित्रम् ।ऊमयः ।अभिरक्षरन्ति ।अभि ।क्षरन्ति ।धारया ।तेभिः ।नः ।सोम ।मृडय॥
पदार्थ : हे (सोम) ज्ञान के प्रेरक परमात्मन् वा आचार्य ! (ये ते) जो आपकी (ऊर्मयः) आनन्दरस और ज्ञानरस की लहरें (धारया) धारारूप से (पवित्रम्) पवित्र हृदय को (अभि) लक्ष्य करके (क्षरन्ति) बहती हैं, (तेभिः) उनसे (नः) हमें (मृडय) सुखी कीजिए ॥२॥
भावार्थ : परमेश्वर स्तोताओं को आनन्दरस की लहरों से और आचार्य शिष्यों को ज्ञानरस की लहरों से तरङ्गित करते हैं ॥२॥
In Sanskrit:
ऋषि : अहमीयुरांगिरसः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : अथ पुनरपि तावेव सम्बोध्येते।
पदपाठ : ये ।ते ।पवित्रम् ।ऊमयः ।अभिरक्षरन्ति ।अभि ।क्षरन्ति ।धारया ।तेभिः ।नः ।सोम ।मृडय॥
पदार्थ : हे (सोम) ज्ञानप्रेरक परमात्मन् आचार्य वा ! (ये ते) ये तव (ऊर्मयः) आनन्दरसस्य ज्ञानरसस्य वा तरङ्गाः (धारया) धारारूपेण (पवित्रम्) पावनं हृदयम् (अभि) अभिलक्ष्य (क्षरन्ति) प्रवहन्ति(तेभिः) तैः (नः) अस्मान् (मृडय) सुखय ॥२॥
भावार्थ : परमेश्वरः स्तोतॄनानन्दरसतरङ्गैराचार्यश्च शिष्यान् ज्ञानरसतरङ्गैस्तरङ्गयतः ॥२॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।६१।५।