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Samveda/999

यत्सोम चित्रमुक्थ्यं दिव्यं पार्थिवं वसु। तन्नः पुनान आ भर॥९९९

Veda : Samveda | Mantra No : 999

In English:

Seer : asitaH kaashyapo devalo vaa | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH

Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.

Verse : yatsoma chitramukthya.m divya.m paarthiva.m vasu . tannaH punaana aa bhara.999

Component Words :
yat .soma. chitram .ukthyam .divyam .paarthivam .vasu. tat .naH .punaanaH .aa .bhara.

Word Meaning :


Verse Meaning :


Purport :


In Hindi:

ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : प्रथम मन्त्र में परमात्मा और आचार्य से प्रार्थना की गयी है।

पदपाठ : यत् ।सोम। चित्रम् ।उक्थ्यम् ।दिव्यम् ।पार्थिवम् ।वसु। तत् ।नः ।पुनानः ।आ ।भर॥

पदार्थ : हे (सोम) दिव्य आनन्द, विद्या आदि परम ऐश्वर्य से युक्त जगदीश्वर वा आचार्य ! (यत्) जो (चित्रम्) अद्भुत, (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय, (दिव्यम्) योगसिद्धि,मोक्ष आदि दिव्य, तथा (पार्थिवम्) सोना, हीरे, मोती, चक्रवर्त्ती राज्य आदि भौतिक (वसु) धन है, (तत्) उस धन को, आप (नः) हमें (पुनानः) पवित्र करते हुए (आ भर) प्रदान कीजिए ॥१॥

भावार्थ : परमात्मा की कृपा को प्राप्त हुए और आचार्य द्वारा तरह-तरह की आध्यात्मिक तथा भौतिक विद्याओं में पारङ्गत किये हुए हम सकल दिव्य एवं पार्थिव धन को एकत्र कर सकते हैं ॥१॥


In Sanskrit:

ऋषि : असितः काश्यपो देवलो वा | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : तत्रादौ परमात्मानमाचार्यं च प्रार्थयते।

पदपाठ : यत् ।सोम। चित्रम् ।उक्थ्यम् ।दिव्यम् ।पार्थिवम् ।वसु। तत् ।नः ।पुनानः ।आ ।भर॥

पदार्थ : हे (सोम) दिव्यानन्दविद्यादिपरमैश्वर्ययुक्त जगदीश्वर आचार्य वा ! (यत् चित्रम्) अद्भुतम्, (उक्थ्यम्) प्रशंसनीयम्, (दिव्यम्) योगसिद्धिमोक्षादिकम् अलौकिकम् (पार्थिवम्) भौतिकं च सुवर्णहीरकमुक्ताचक्रवर्तिराज्यादिकम् (वसु) धनं विद्यते (तत्) धनम्, त्वम् (नः) अस्मान् (पुनानः) पवित्रयन् (आ भर) आहर ॥१॥

भावार्थ : परमात्मनः कृपां प्राप्ता आचार्यद्वारा च विविधास्वाध्यात्मिकीषु भौतिकीषु च विद्यासु पारं गमिता वयं सर्वं दिव्यं पार्थिवं च धनमर्जयितुं शक्नुमः ॥१॥

टिप्पणी:१. ऋ० ९।१९।१।