Samveda/869
तिस्रो वाच उदीरते गावो मिमन्ति धेनवः। हरिरेति कनिक्रदत्॥८६९
Veda : Samveda | Mantra No : 869
In English:
Seer : trita aaptayaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : tisro vaacha udiirate gaavo mimanti dhenavaH . harireti kanikradat.869
Component Words : tisra. vaachaH .ut .iirate .gaavaH .mimanti .dhenavaH .hariH .eti .kanikradat.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : त्रित आप्तयः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : प्रथम ऋचा की पूर्वार्चिक में ४७१ क्रमाङ्क पर ब्रह्मानन्द-रस के विषय में व्याख्या की जा चुकी है। यहाँ गुरुकुल का दृश्य वर्णित है।
पदपाठ : तिस्र। वाचः ।उत् ।ईरते ।गावः ।मिमन्ति ।धेनवः ।हरिः ।एति ।कनिक्रदत्॥
पदार्थ : विद्यार्थी लोग (तिस्रः वाचः) ऋग्, यजुः, साम रूप तीन वेदवाणियों का (उदीरते) उच्चारण कर रहे हैं। (धेनवः) दूध, मक्खन आदि से तृप्ति देनेवाली (गावः) गाएँ (मिमन्ति) रंभा रही हैं। (हरिः) दोषों को हरनेवाले आचार्य (कनिक्रदत्) शास्त्रों का उपदेश करते हुए (एति) सञ्चार कर रहे हैं ॥१॥इस मन्त्र में स्वभावोक्ति अलङ्कार है ॥१॥
भावार्थ : सस्वर वेदपाठ, वेदार्थों के व्याख्यान, यज्ञार्थ घी देने के लिए तथा गोदुग्ध, दही, मक्खन आदि प्रदान करने के लिए गायें, और गुरुओं का उपदेश, यह गुरुकुलों का दृश्य अत्यन्त मनोहर होता है ॥१॥
In Sanskrit:
ऋषि : त्रित आप्तयः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः
विषय : तत्र प्रथमा ऋक् पूर्वार्चिके ४७१ क्रमाङ्के ब्रह्मानन्दरसविषये व्याख्यातपूर्वा। अत्र गुरुकुलस्य दृश्यं वर्ण्यते ॥
पदपाठ : तिस्र। वाचः ।उत् ।ईरते ।गावः ।मिमन्ति ।धेनवः ।हरिः ।एति ।कनिक्रदत्॥
पदार्थ : विद्यार्थिनः (तिस्रः वाचः) ऋग्यजुःसामलक्षणाः तिस्रो वेदगिरः (उदीरते) उच्चारयन्ति। (धेनवः) दुग्धनवनीतादिभिः प्रीणयित्र्यः (गावः) क्षीरिण्यः (मिमन्ति) रम्भायन्ते। (हरिः) दोषाणां हर्ता आचार्यः (कनिक्रदत्) शास्त्राण्युपदिशन् (एति) सञ्चरति ॥१॥अत्र स्वभावोक्तिरलङ्कारः ॥१॥
भावार्थ : सस्वरवेदपाठो, वेदार्थव्याख्यानानि, यज्ञियघृतार्थं गोदुग्धदधिनवनीतादि- प्रदानार्थं च गावो, गुरूणामुपदेशश्चेति गुरुकुलानां दृश्यमतीव चेतोहरं जायते ॥१॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।३३।४, साम० ४७१।