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Samveda/1216

अया पवस्व धारया यया सूर्यमरोचयः। हिन्वानो मानुषीरपः॥१२१६

Veda : Samveda | Mantra No : 1216

In English:

Seer : nidhruviH kaashyapaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH

Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.

Verse : ayaa pavasva dhaarayaa yayaa suuryamarochayaH . hinvaano maanuShiirapaH.1216

Component Words :
ayaa . pavasva . dhaarayaa . yayaa . suuryam . arochayaH . hinvaanaH. maanuShiiH .apaH.

Word Meaning :


Verse Meaning :


Purport :


In Hindi:

ऋषि : निध्रुविः काश्यपः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : प्रथम ऋचा पूर्वार्चिक में ४९३ क्रमाङ्क पर परमात्मा के पक्ष में व्याख्यात की गयी थी। यहाँ भी वही विषय है।

पदपाठ : अया । पवस्व । धारया । यया । सूर्यम् । अरोचयः । हिन्वानः। मानुषीः ।अपः॥

पदार्थ : हे पवमान सोम अर्थात् पवित्रतादायक जगद्रचयिता परमात्मन् ! आप (अया) इस (धारया) प्रकाश की धारा से, हमें (पवस्व) पवित्र कीजिए, (यया) जिस प्रकाश-धारा से, आपने (सूर्यम्) सूर्य को (अरोचयः) चमकाया है। आप ही (मानुषीः अपः) मनुष्यों से प्राप्त करने योग्य आनन्द-रसों को (हिन्वानः) प्रेरित करो ॥१॥

भावार्थ : परमेश्वर की कृपा से हम सूर्य के समान तेजस्वी और पवित्र होकर ब्रह्मानन्द के भागी बनें ॥१॥


In Sanskrit:

ऋषि : निध्रुविः काश्यपः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : तत्र प्रथमा ऋक् पूर्वार्चिके ४९३ क्रमाङ्के परमात्मपरा व्याख्याता। अत्रापि स एव विषयः।

पदपाठ : अया । पवस्व । धारया । यया । सूर्यम् । अरोचयः । हिन्वानः। मानुषीः ।अपः॥

पदार्थ : हे पवमान सोम पवित्रतादायक जगत्स्रष्टः परमात्मन् ! त्वम् (अया) अनया (धारया) प्रकाशधारया, अस्मान् (पवस्व) पवित्रीकुरु, (यया) प्रकाशधारया त्वम् (सूर्यम्) आदित्यम् (अरोचयः) रोचितवानसि। त्वमेव (मानुषीः अपः) मनुष्यैः प्राप्तव्यान् आनन्दरसान् (हिन्वानः) प्रेरयन्, भवेति शेषः ॥१॥

भावार्थ : परमेशकृपया वयं सूर्यवत् तेजस्विनः पवित्राश्च भूत्वा ब्रह्मान्दभागिनो भवेम ॥१॥

टिप्पणी:१. ऋ० ९।६३।७, साम० ४९३।