Donation Appeal
Choose Mantra
Samveda/1293

स पवित्रे विचक्षणो हरिरर्षति धर्णसिः। अभि योनिं कनिक्रदत्॥१२९३

Veda : Samveda | Mantra No : 1293

In English:

Seer : raahuugaNa aa~NgirasaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : gaayatrii | Tone : ShaDjaH

Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.

Verse : sa pavitre vichakShaNo harirarShati dharNasiH . abhi yoni.m kanikradat.1293

Component Words :
saH . pavitre . vichakShaNaH . vi . chakShaNaH . hariH . arShati . dharNasiH . abhi . gonim . kanikradat.

Word Meaning :


Verse Meaning :


Purport :


In Hindi:

ऋषि : राहूगण आङ्गिरसः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : अब कैसा परमेश्वर क्या करता हुआ कहाँ जाता है, यह कहते हैं।

पदपाठ : सः । पवित्रे । विचक्षणः । वि । चक्षणः । हरिः । अर्षति । धर्णसिः । अभि । गोनिम् । कनिक्रदत्॥

पदार्थ : (सः) वह (विचक्षणः) विशेष द्रष्टा, (धर्णसिः) दिव्य गुण-कर्म-स्वभावों का धारण करनेवाला, (हरिः) पाप हरनेवाला परमेश्वर (कनिक्रदत्) उपदेश देता हुआ (योनिम् अभि) अपने निवासगृहभूत जीवात्मा को लक्ष्य करके (पवित्रे) पवित्र हृदय में (अर्षति) पहुँचता है ॥२॥

भावार्थ : पवित्रात्मा लोग ही परमेश्वर की प्राप्ति के अधिकारी होते हैं ॥२॥


In Sanskrit:

ऋषि : राहूगण आङ्गिरसः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : गायत्री | स्वर : षड्जः

विषय : अथ कीदृशः परमेश्वरः किं कुर्वन् कुत्र गच्छतीत्याह।

पदपाठ : सः । पवित्रे । विचक्षणः । वि । चक्षणः । हरिः । अर्षति । धर्णसिः । अभि । गोनिम् । कनिक्रदत्॥

पदार्थ : (सः) असौ (विचक्षणः) विद्रष्टा, (धर्णसिः) दिव्यगुणकर्मस्वभावानां धारकः (हरिः) पापहर्ता परमेश्वरः (कनिक्रदत्) उपदिशन् (योनिम् अभि) स्वनिवासगृहभूतं जीवात्मानमभिलक्ष्य (पवित्रे) परिपूते हृदये (अर्षति) गच्छति ॥२॥

भावार्थ : पवित्रात्मान एव जनाः परमेश्वरप्राप्तेरधिकारिणो भवन्ति ॥२॥

टिप्पणी:१. ऋ० ९।३७।२।