Samveda/1315
परि स्वानश्चक्षसे देवमादनः क्रतुरिन्दुर्विचक्षणः (खा)।। [धा. । उ । स्व. ।]॥१३१५
Veda : Samveda | Mantra No : 1315
In English:
Seer : saptarShayaH | Devta : pavamaanaH somaH | Metre : dvipadaa viraaT | Tone : pa~nchamaH
Subject : English Translation will be uploaded as and when ready.
Verse : pari svaanashchakShase devamaadanaH kraturindurvichakShaNaH.1315
Component Words : pari . svaanaH . chakShase . devamaadanaH . deva . maadanaH . kratuH . induH . vichakShaNaH . vi . chakShaNaH.
Word Meaning :
Verse Meaning :
Purport :
In Hindi:
ऋषि : सप्तर्षयः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : द्विपदा विराट् | स्वर : पञ्चमः
विषय : अगले मन्त्र में परमात्मा के ध्यान का विषय है।
पदपाठ : परि । स्वानः । चक्षसे । देवमादनः । देव । मादनः । क्रतुः । इन्दुः । विचक्षणः । वि । चक्षणः॥
पदार्थ : (देवमादनः) विद्वानों को आनन्दित करनेवाला, (क्रतुः) कर्ममय अर्थात् जगद्धारण के कर्मों का कर्ता, (विचक्षणः) विशेषरूप से सबका द्रष्टा, (इन्दुः) तेजस्वी और रस से भिगोनेवाला परमेश्वर (चक्षसे) दर्शनार्थ, अर्थात् साक्षात्कार के लिए (परि स्वानः) हमसे ध्यान किया जाता है ॥३॥
भावार्थ : परमात्मा का साक्षात्कार करके हम भी उसके समान दूसरों को आनन्दित करनेवाले, कर्मयोगी, विवेकदृष्टि से सम्पन्न, तेजस्वी और परोपकारी बनें ॥३॥
In Sanskrit:
ऋषि : सप्तर्षयः | देवता : पवमानः सोमः | छन्द : द्विपदा विराट् | स्वर : पञ्चमः
विषय : अथ परमात्मध्यानविषयमाह।
पदपाठ : परि । स्वानः । चक्षसे । देवमादनः । देव । मादनः । क्रतुः । इन्दुः । विचक्षणः । वि । चक्षणः॥
पदार्थ : (देवमादनः) विदुषामानन्दयिता, (क्रतुः) कर्ममयः जगद्धारणकर्मणां कर्ता, (विचक्षणः) विशेषेण सर्वेषां द्रष्टा, (इन्दुः) तेजस्वी रसेन क्लेदकश्च परमेश्वरः (चक्षसे) दर्शनाय, साक्षात्काराय। [चष्टे पश्यतिकर्मा। निघं० ३।११। तुमर्थे असेन् प्रत्ययः।] (परि स्वानः) परिषूयमाणः, अस्माभिर्ध्यायमानः भवति ॥३॥
भावार्थ : परमात्मानं साक्षात्कृत्य वयं तद्वत् परेषामानन्दयितारः कर्मयोगिनो विवेकदृष्टिसम्पन्नास्तेजस्विनः परोपकारिणश्च भवेम ॥३॥
टिप्पणी:१. ऋ० ९।१०७।३ ‘सुवा॒नश्चक्ष॑से’ इति पाठः।